यामिनी रंजन राय

 


यामिनी रंजन राय Yamini Roy

जन्म– 1888 पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले के बलिया तोड़ ग्राम में
शिक्षा– कोलकाता
शिक्षक– मायो कॉलेज ऑफ आर्ट लाहौर 1936
         –लाहौर के फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज 1936 29
         –लाहौर के सिटी स्कूल ऑफ आर्ट 1947
प्रमुख माध्यम– टेंपरा अन्य में जल रंग
1955 – पदम विभूषण ( कला में प्रथम )

1955 –ललित कला अकादमी का प्रथम पुरस्कार

1950– एबीसी आर्ट गैलरी न्यूयॉर्क 

1935 –कोलकाता 

1946–47 –लंदन


  • कोलकाता में प्रवेश लेने के बाद शास्त्रीय पद्धति से अनावृत्ता का अंकन व तैल चित्र बनाना सीखा।
  • इन्होंने कुछ दिन इलाहाबाद और कोलकाता में लीथो प्रेस काम किया
  • चित्र में चटक रंगों का प्रयोग।
  • कोलकाता में काष्ठ मुद्रण  के छाप खाने में कालीघाट पटशैली की छपाई में ग्रीटिंग कार्ड बनाएं।
  • इसके बाद तैल रंगों में यूरोपीय शैली के भी चित्र बनाएं ।
  •  1908 में व्यक्ति चित्रकार के रूप में विख्यात हुए ।
  • दृश्य चित्र प्रभाववादी शैली में बनाए ।
  • 1921– लोक कला के मूल रूपों की खोज की ।
  • 1925– इस क्षेत्र में अन्य प्रयोग किए ।
  • 1949– दिल्ली शिल्पी चक्र के सह संस्थापक रहे।
  • रेखांकन की प्रमुख विशेषता सरल गत्यात्मक वर्तुलाकर रेखांकन है। 
  • पाश्चात्य कलाकारों ने उन्हें भारतीय कला का पैगंबर कहा।
  • महात्मा गांधी ने राष्ट्रीवादी कलाकार की संज्ञा दी।
  • एम एफ हुसैन से पूर्व भारत का पिकासो कहा जाता था।
  • इन्होंने अपनी कला का प्रारंभ व्यक्ति चित्र से किया।
  • इन पर कालीघाट शैली, लोककला, माया सभ्यता की कला, वान गॉग तथा माने का प्रभाव है।
  • इन्होंने अल्पना से अलंकारिकता, अमूर्तन से सम्मुख आकृति योजना एवं लोक जीवन, खिलौनों तथा गुड़ियों से चमकीली रंग योजना आदि लोक तत्व ग्रहण किया।
  • कागज की पट्टियों को चटाई की तरह बुनकर और खुरदुरे टेक्सचर में नवीन प्रयोग किए।


यामिनी राय के चित्र
3 पुजारिन
संथाल नृत्य
बिल्ली व झींगा
काला घोड़ा
वैष्णव जन
क्रॉस पर ईशा

ईसा और मरियम
ईसा मसीह और बालक 

बाघ पर रानी 
लास्ट पिक्चर 
ढोलक वादक 
लास्ट सपर 
मछली दबाए बिल्ली 
तीन योद्धा 
जोसेफ और ईशा 
रावण सीता और जटायु 
पंचवटी में मृग 
कृष्ण गोपी नाव में 
कृष्ण और सखा


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