छितिंद्र नाथ मजूमदार / Kshitindra Nath Majoomdar
जन्म– 1891, पश्चिम बंगाल, मुर्शिदाबाद के निमतीत नामक गांव में।
शिक्षा – अवनींद्र नाथ से कोलकाता में।
शिक्षक– इंडियन सोसायटी आफ ओरिएंटल आर्ट,
–लखनऊ कला विश्वविद्यालय में व्याख्याता पद पर कार्य किया ।
– 1942 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कला विभाग की स्थापना की।
– रुचिका कक्षा का संचालन अमरनाथ झा के सहयोग शुरुआत की।
सर्वाधिक कार्य वास में, निजी तकनीक टेंपरा।
- जयाअप्पा स्वामी के अनुसार इनके रंग व रेखाओं में मध्यकालीन कवियों व कविताओं का आभास होता है।
- तकनीक प्रयोग की अपेक्षा भावों की गहराई पर बल दिया।
- रेखांकन इनकी कला शैली का आधार है।
- इनके चित्रों की आकृति बंगाल के लोकजीवन से प्रेरित हैं।
- ये परंपरावादी कलाकार हैं, इनके चित्रों की पृष्ठभूमि पर वृक्षों का अधिक अंकन है।
- इन्हें धार्मिक विषयों का अंकन प्रिय था, जिसमें इन्होंने रामायण महाभारत कृष्ण लीला व चैतन्य महाप्रभु को प्रमुखता दी।
- वैष्णव कलाकार, संत कलाकार, परंपरावादी कलाकार, भावों का सम्राट, कवि हृदय कलाकार उपाधि से नवाजा जाता है।
- शिशिल कुमार घोष ने वैष्णव कलाकार कहा।
पुरस्कार :– अशोक स्तंभ पुरस्कार, बंगाल कांग्रेस कमेटी द्वारा– 1963
छितिंद्र नाथ मजूमदार के चित्र:– Kshitindra nath ki painting
बालक ध्रुव की तपस्या –प्रथम चित्र अंग्रेजों ने ₹80 में खरीदा था। राधा का अभिसार
चैतन्य का गृह त्याग –अवनींद्रनाथ द्वारा ₹200 पुरस्कार (जल रंग) अभिसारिका
गीत गोविंद
कृष्ण प्रेम में विभोर
पालित मृग (सर्वश्रेष्ठ)
स्वामी हरिदास का गोलोक गमन
प्रभु हरिदास का की अंतिम अवस्था
प्रतिक्षा रत
नृत्यरत अप्सराएं
फूल तोड़ती महिलाएं / पुष्प परिचारिका
गुरु के द्वार पर जलतरंग