गगनेंद्र नाथ, भारत में घनवाद के जनक

 

गगनेंद्रनाथ टैगोर/ GAGNENDRA NATH TAGORE

जन्म–1867, जोड़ासाँको, पश्चिम बंगाल 

मृत्यु – पक्षाघात से 1938 में

शिक्षा– कला की शिक्षा किसी से ना लेकर स्वयं ही 38 वर्ष की उम्र में चित्रण कार्य प्रारंभ किया। 

यह पहले चित्रकार थे जिन्होंने यूरोपीय कला की हूबहू नकल की।

1960 में इंडियन सोसायटी आफ ओरिएंटल आर्ट की स्थापना की

इन्होंने बंगाल होम इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की स्थापना कुटीर उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए की।

रवींद्र नाथ की पुस्तक जीवनस्मृति का चित्रण किया।

चित्रकला का आरंभ योकोहामा ताइक्वान हिशिदा से प्रभावित होकर पेंसिल चित्र व जल रंग में आरंभ किया।

इन्होंने चैतन्य चरित्र माला का चित्रण वाश पद्धति में किया, जिनमें जन्म से मृत्यु तक के 21 चित्र बनाएं

पुस्तक:– बदौर बहादुर


इनके चित्रों का वर्गीकरण पांच भागों में किया जाता है।

प्रथम भाग :– परियों की कहानी प्रेम से संबंधित चित्र 

द्वितीय :– कालेवा सफेद रंग के रेखाचित्र 

तृतीय भाग:– प्रकृति चित्र 

चतुर्थ:– भाव रहस्य पूर्ण प्रकाश सहित अमूर्त चित्रण 

पंचम भाग:– 1921 में धनवाद का प्रयोग प्रारंभ किया


चित्र:– 

ओ मास्टर 

जादूगर 1925 

फेरी प्रिंसेस 

पासिंग ऑफ द आर्टिस्ट

यूनिवर्सिटी मशीन 

मीटिंग इन द स्टेयर केस– जलरंग ( एनजीएमए) 

सन सेट इन सांची 

बाल रूम डांस 

कांग्रेस को संबंधित करते रविंद्र 

जंगल की आग 

प्रोटेस्ट इन का व्यक्ति चित्र

प्रतिमा विसर्जन 1915 

मानव चीखकर 

स्वर्णम की रेत 

अलादीन की गुफाएं 

टेंपल क्यूबिस्ट (वाश) 

स्वप्न जाल

कल्कि अवतार 

फेरीलैंड 

सागर के ऊपर चंद्रमा 

बसंत (प्रभाववाद में निर्मित, रेशम पर स्याही) 

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