बी०सी० सान्याल | BC SANYAL
1902/1904 - 2003
जन्म- 22 अप्रैल 1902, डिब्रुगढ असम
मृत्यु - 9 जनवरी 2003 (आयु 102)
पूरा नाम - भावेश चन्द्र सान्याल
शिक्षा- कोलकाता कला विद्यालय
शिक्षक- मेयो कॉलेज में उपप्रधानाचार्य रहे
दिल्ली पॉलीटेक्निक में कला विभागध्यक्ष रहे
लाहौर में सान्याल स्टूडियो स्कूल खोला
कार्य- चित्रकार, मूतिकार, छापाकार
माध्यम- जल, तैल, सेरेमिक
विषय-दीन-हीन लोग, नारी, भिखारी
• गांधी जी के असहयोग आन्दोलन से प्रभावित होकर पढ़ाई छोड दी ।
• देश में विभाजन के बाद दिल्ली आए और दिल्ली शिल्पी चक्र के अध्यक्ष बने।
• 1955 में नेपाल सरकार के कला शिक्षा सलाहकार रहे।
• इन्होंने अपना दिल्ली का निजी स्टूडियो गैलरी 26 में परिवर्तित कर दिया इससे पहले लाहौर में सान्याल स्टूडियो के नाम से जाना जाता था।
• इनकी नारी आकृतियां घूंघट से ढकी है व्यथा निराश व रहस्य का संकेत करती है।
• पशु चित्रण में वीशेष रूचि थी। जिसमें बिल्लियां की काले सफेद रंग में बनायी श्रंखला सर्वश्रेष्ठ है।
• इनके चित्रों में मानवीय करूणा, सहानुभूति तथा संवदेनशीलता के दर्शन होते हैं।
समाज की अराजकता से प्राभावित होकर प्रतीकवादी शैली में कार्य किया।
• इनके दृश्य चित्रों में रंग प्रमुख है जो इनके लिए शान्ति प्रतीक है।
• इनके दृश्यचित्रों में देहात की ताजगी तथा रंगो में वातावरण की सच्चाई है।
पद्मभूषण - 1984
चित्र
गोल मार्केट के भिखारी
कोलकाता की सड़क
आश्रयहीन लड़की
गांधी जी का पोट्रेट (तेल)
लाला लाजपत राय
जाति वहिष्कृत
बालवधु
नारी और पक्षी
निजामुद्दीन मेले में
मणिपुर बैल
केश संवारती स्त्री
शिव की मुखाकृति
महिमा
तीन महिलाए
कपोत और महिला
खेत में महिला
1997 में बनी फिल्म डांस आफ द विंड में अभिनय किया।
इनका निधन 102 वर्ष की आयु में दिल्ली में हुआ।
इन्हें कला का सम्राट , ग्रेट ओल्ड मैन आफ आर्ट वाहा जाता है।
इन्हे शताब्दी पुरुष भी कहा जाता है।
इन्होंने कांगडा घाटी के जो चित्र बनाए वो जलरंग में है। माउंटेन स्पेस - जलरंग
1929 लाहौर में लाला लाजपत राय की अवाक्ष प्रतिमा बनायी। इन्होने ढोलपुर बलुआ पत्थर में मूर्तिशिल्प वर्टिकल वूमन (अनुलंब स्त्री) बनाए
1998 में इनकी आत्मकथा The Werticle Women NGMA के द्वारा वरिष्ठ कला सपीदाक वासी दत्ता ने इसका सम्पादन किया।