प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप (PAG)
स्थापना – 1947,FN Suja
1947 में मुम्बई के कुछ कलाकारों ने मिलकर एक दल बनाया जिसे PAG कहा गया।
मुम्बई के कलाकार के0एच0 आरा अपना विशाल कैनवास प्रदर्शनी के लिए बाम्बे आर्ट सोसाइटी ले गए। वहा इनका चित्र अस्वीकृत कर दिया गया।
आरा को इससे बड़ी खिन्नता हुयी वे तुरन्त सूजा के यहां पहुंचे
वहां इनकी मुलाकात रजा से हुयी सब से मिलकर दल बनाया जिसका नाम पैग रखा।
ग्रुप में सक्रीयता लाने के लिए 3 और सदस्य और जोड़े गए-
हुसैन, गाड़े, बाकरे
इस दल की प्रथम बैठक गिरिग्राम मे हुयी।
बम्बई की औषधि निर्माता कम्पनी ने इस दल को संरक्षण दिया।
अपने घोषणा पत्र में लिखा pag का अर्थ "आगे जहां हम जाना चाहते है"।
प्रथम प्रदर्शनी – 1949, उद्घाटन - मुल्कराज आनन्द ने किया, कैटलाॅग सूजा ने तैयार किया।
महासचिव- एफ0एन0 सूजा
कोषाध्यक्ष- एच0ए0 गाडे
जनसम्पर्क अधिकारी – के0 एच0 आरा
मूर्तिकार - सदानन्द बाकरे
के0 एच0 आरा0एच0 आरा- जनसम्पर्क अधिकारी
1950 पैग तथा कोलकाता कलाकारों की सम्मिलित प्रदर्शनी मुम्बई में हुई।
छात्रवृत्ति मिलने पर रजा पेरिस चले गए। बाकरे लन्दन चले गए।
1952 में - अन्तिम प्रदर्शनी
कैटलाॅग कृष्ण खन्ना ने तैयार किया।
बाकरे के शिल्पों पर यूरोपीय मूर्तिकार एप्स्टाइन का प्रभाव था। 19 में ये भी विदेश यात्रा पर चले गए।
चार कलाकार सूजा, रजा, हुसैन, बाकरे केचले जाने पर ग्रुप निष्क्रीय हो गया।
ग्रुप की अन्तिम प्रदर्शनी में कुछ नए कलाकारों के चित्र रखे गए।
- एफएन सूजा
- के एच आरा
- एस एच रजा
- एमएफ हुसैन
- H ए गाड़े
- सदानंद बाकरे