के0एच0 आरा, कृष्ण हावला जी आरा
जन्म-1914 सिकन्दराबाद आन्ध्रप्रदेश के बोलाराम ग्राम में।
मृत्यु– 1985
मूल नाम – किशन
शिक्षा- प्रा0 शिक्षा- गिरिग्राम के केतकर इन्स्टीट्यूट में
नोटः- इन्हे आदिम कलाकार, फूलों और दृश्यों का चितेरा, स्टिल लाइफ कलाकार के रूप में जाना जाता है।
पुरस्कार
- 1939- बाम्बे आर्ट सोसाइटी द्वारा पुरस्कार
- 1944-‘‘मराठा बैटिल‘‘ जलरंग चित्र, गर्वनर द्वारा पुरस्कार
- 1942- एकल प्रदर्शनी की इसी समय ‘‘हेनरी नाइट‘‘ पुरस्कार मिला।
- 1952- जहांगीर आर्ट गैलरी के उद्घाटन समारोह में स्वर्ण पदक
- 1963- मुम्बई में अनावृत्ताओं के चित्रों की प्रदर्शनी की।
- 1947 - में आरा का एक चित्र बाम्बे आर्ट सोसाइटी द्वारा अस्वीकृत करने पर खिन्न होकर पैग ग्रुप की स्थापना की।
1983- मे ललित कला अकादमी के फैलो निर्वाचित हुए।
जहांगी आर्ट गैलरी के ट्रस्टी रहे। और आर्ट सोसाइटी आफ इण्डिया के उपाध्यक्ष तथा आर्टिस्ट सेन्टर मुम्बई के सचिव रहे।
ये स्वाधीनता आन्दोलन से जुड़े और महात्मा गांधी के साथ जेल गए।
इन्होने रेखाचित्रो व वाॅश पेंटिग से चित्रण प्रारंभ किया कुछ समय बाद यथार्थवादी चित्र बनाए।
फिर ज्यामितीय आकारों के प्रतीकों से अमूर्त रचना की।
कुछ समय तक डायरेक्ट जलरंग से भी पेटिंग की इसके बाद तैल
के माध्यम में अनावृत्ताओं के चित्र बनाए। इन्होने नवीन तकनीति ‘‘कैट कैनवास‘‘ में प्रयोग किया।
चित्र
प्रातःकालीन नाश्ते की मेज
लाल मेज
हर सेब
टोकरे में रखे प्याज
मछली के साथ
वाइन ग्लास
गांव के छारे पर
मेले से लौटते हुए
लकड़हारे
उन्मुख घोडे की सरपट दौड़
पनघट पर
नृतक
वैन मैन शो
स्वतंत्रता दिवस की झंाकी
मराठा बैटिल- गनर्वर द्वारा पुरस्कार (1944)
कोना
रक्षा के लिए नारी
हाट या बाजार