शैलेंद्र नाथ डे Shailendr Nath Day
जन्म– 1890, इलाहाबाद
शिक्षा– कोलकाता
शिक्षक– प्रथम नियुक्ति इंडियन सोसायटी आफ ओरिएंटल आर्ट, कोलकाता
1925– जयपुर आर्ट्स कॉलेज
माध्यम– wash, टेंपरा
शैलीगत विशेषता – अलंकरण प्रधान, काल्पनिक।
शिष्य – राम गोपाल विजयवर्गीय, गोपाल घोष, सुधांशु भूषण, देवकीनंदन शर्मा
कथन:
"मानव जीवन से मुख भावों को प्रत्यक्ष रुप से दर्शाने वाली कला एक चाक्षुष जीवन है"।
"चित्रकार के लिए किसी वस्तु को देखकर उस में खो जाना और अपने भावों को भूल जाना ही भाव है"।
उन्होंने सुंदर के साथ सुंदर की कल्पना की है
इनकी कला शैली परंपरागत भारतीय कला से प्रभावित अलंकरण प्रधान है
बुक: –भारतीय चित्रकला पद्धति
मेघदूत श्रंखला राय कृष्णदास के कहने पर बनाई। (जलरंग में)
चित्र:
यक्ष पत्नी
वनवासी यक्ष
चलते फिरते नृत्य भंगिमा
चलते फिरते भाव मुद्रा मुद्रा
कौशल्या से भिक्षा लेते राम
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